Saurabh Singh Patel
तुम्हारा होना ही….
मेरे होने का वजूद है,
“जिसे समझो तो एक दास्तान पुरानी है,
और ना समझो तो महज़ एक कहानी है।”
तुम्हारे बिना तो जैसे एक-एक पल होंठो पर सजी ऐसी मुस्कान की तरह है…
जिसे देखते तो सब हैं पर समझता कोई भी नहीं !
सबको तो महज़ वो मुस्कान नज़र आती है,
सोंचने बैठो कभी..
तो आँख तक भर जाती है।।
मगर,
मैं किसी से कुछ कह भी तो नहीं सकता,
हाँ, तुम्हारे बिना मैं रह भी तो नहीं सकता!
कुछ वक़्त जरूर तम्हारे बिना गुजारा है मैंने….
वो वक़्त भी बड़ा ही कीमती था,
जिसमें मुझे एहसास हुआ कि तुम्हारे बिना तो मैं कुछ भो नहीं…
इसीलिए ही तो कह रहा हूँ,
तुम्हारा होना ही…
मेरे होने का वजूद है!
“जिसे समझो तो एक दास्तान पुरानी है,
और ना समझो तो महज़ एक कहानी है।”
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