प्रदेश सरकार श्रम कानूनों में संशोधन की कार्रवाई अटकने के बाद कारखाना अधिनियम व औद्योगिक विवाद समाधान एक्ट में बदलाव कर निवेशकों को कई तरह की सहूलियतें देने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए कारखाना अधिनियम तथा औद्योगिक विवाद समाधान अधिनियम में अलग-अलग संशोधन का प्रस्ताव तैयार है।
इसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाकर विधानमंडल से पारित कराने की योजना है। प्रदेश सरकार ने श्रम कानून में संशोधन कर पुरानी इकाइयों में नए कामगारों के संबंध में व नई इकाइयों को 1000 दिनों के लिए तमाम श्रम कानूनों से छूट का प्रस्ताव किया था। कानून में संशोधन संबंधी प्रस्ताव केंद्र की अनुमति के लिए भेजा गया।
विरोधी दलों व कई श्रमिक संगठनों ने इसे श्रमिक विरोधी करार देते हुए इस पर आपत्ति जताई थी। इसे अब तक केंद्र की सहमति नहीं मिल पाई है। सूत्रों ने बताया कि श्रम कानूनों में संशोधन की कार्यवाही केंद्र के स्तर पर अटकने के बाद प्रदेश सरकार कारखाना अधिनियम में संशोधन कर नए निवेशकों को कई तरह के छूट देने की योजना पर काम कर रही है।
लेकिन, श्रम कानूनों की तरह कारखाना अधिनियम में भी संशोधन का अधिकार राज्य के पास नहीं है। ऐसे में कारखाना अधिनियम व औद्योगिक विवाद समाधान अधिनियम के प्रावधानों से निवेशकों को उचित छूट देने का अधिकार राज्य को देने की मांग केंद्र से की जाएगी।
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सरकार ने इससे संबंधित विधेयकों का मसौदा तैयार कर लिया है। इसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाने के बाद विधानमंडल से पारित कराकर केंद्र को भेजने की योजना है। बताया गया है कि केंद्र के सुझाव पर ही सरकार ने कारखाना अधिनियम व औद्योगिक विवाद समाधान अधिनियम में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की है।
इसमें भी 1000 दिन की छूट देने का प्रस्ताव
प्रदेश सरकार अधिनियम में संशोधन के जरिए केंद्र से प्राप्त अधिकारों का प्रयोग कर अधिनियम की विभिन्न धाराओं को सशर्त या बिना शर्त 1000 दिनों के लिए छूट देने की अधिसूचना जारी कर सकेगी।
श्रमिकों की सेवा, सुरक्षा व विवाद निस्तारण में सहूलियत
शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया सरकार केंद्र से अधिनियम में संशोधन की शक्ति पाने के बाद कारखाना अधिनियम में प्रावधानित कार्मिक की सेवा संबंधी सेफ्टी व सिक्योरिटी से जुड़े कुछ प्रावधानों से छूट दे सकेगी। इसी तरह इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट में श्रमिक व नियोक्ता के बीच विवाद समाधान से संबंधित प्रावधानों से उचित छूट दे सकेगी। कोविड-19 संक्रमण से प्रभावित अर्थव्यवस्था में निवेश प्रोत्साहित करने के लिए निवेशकों को नए निवेश पर ये छूट देने का प्रस्ताव है।
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