भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने भयंकर तबाही मचाई थी. इस दौरान इतनी मौतें हुई थीं कि शमशान घाटों पर शवों का दाह संस्कार करने के लिए भी जगह नहीं मिली थी. ऐसे में लोगों ने कोरोना मृतकों के शवों को गंगा नदी मे बहा दिया था. वहीं नदी में तैरते शवों को देखकर पूरा देश दहल उठा था. इस स्थिति ने देश में कोविड मृत्यु के वास्तविक आंकड़ों पर सवालिया निशान लगा दिया था साथ ही पानी से वायरल फैलने के डर को भी बढ़ा दिया था.
इस भयानक स्थिति के दस महीने बाद केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कितने शव गंगा नदी में बहाए गए थे? दरअसल सरकार ने कहा कि उसे इस बात की जानकारी नहीं है. टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन के एक सवाल के जवाब में केंद्रीय राज्य जल शक्ति मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने संसद में कहा कि, ‘ कोविड से मृत लोगों के शव जो गंगा में बहाए गए थे, उनकी संख्या के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है
टीएमसी सासंद ने एक ओर सवाल पूछा था कि इन शवों को हटाने और कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हे निपटाने के लिए किन उपायों का अपनाया गया था. इसके जवाब में मंत्रालय ने कहा कि केंद्र ने कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ शवों का उचित तरीके से ही दाह संस्कार करने के लिए राज्यों को निर्देश दिए थे.
राज्यों से मांगी गई रिपोर्ट
केंद्रीय मेंत्री ने कहा कि, “ लावारिस/ अज्ञात, जले हुए/ आंशिक रूप से जले हुए शव” नदी या उसके किनारे पाए गए थे. ये घटनाएं यूपी और बिहार के जिलों से सामने आई थीं. उन्होंने ये भी बताया कि संबंधित राज्य सरकारों से शवों और निपटान सहित की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट मांगी थी. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले में उत्तराखंड, झारखंड और बंगाल के मुख्य सचिवों को भी एडवाइजरी जारी की गई है. मंत्रालय द्वारा जानकारी दी गई थी कि नदी के किनारे के समुदायों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए जरूरी अभियान चलाया गया है.
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