राजशाही स्टाइल का प्रतिनिधित्व करने वाले राजा भैया भले ही आज उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक प्रमुख चेहरा बन गए हों, लेकिन उनका राजनीतिक सफर इतना आसान नहीं रहा है। उनके पिता नहीं चाहते थे कि वह राजनीति में आएं, लेकिन तकदीर को कुछ और ही मंजूर था। जब राजा भैया ने अपने पिता से चुनाव लड़ने की इजाजत मांगी तो उनके पिता ने गुरुजी से अनुमति लेने को कहा। फिर वहीं से शुरू हुआ राजा भैया का अजेय राजनीतिक सफर। आज वह उत्तर प्रदेश की राजनीति का प्रमुख चेहरा बन गए हैं।
6 बार से लगातार विधायक बन रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh) ने नामांकन पत्र दाखिल कर फिर से कुंडा विधानसभा में अपनी ताल ठोंक दी है। राजा भैया के साथ इस बार उनके जुड़ा बेटे भी नामांकन के दौरान मौजूद थे।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Polls 2022) जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज होनी शुरू हो गई हैं. यूपी के प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा सीट इस बार भी हॉट सीट मानी जा रही है. इसकी वजह हैं ‘रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) उर्फ राजा भैया’. राजा भैया (Raja Bhaiya) करीब तीन दशक से कुंडा सीट से लगातार जीतते आ रहे हैं. उनके सामने किसी भी पार्टी की दाल नहीं गल सकी. पूर्वांचल की राजनीति में राजा भैया का अलग रसूख है.
जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’ इस बार अपनी पार्टी से चुनाव मैदान में नजर आ सकते हैं. देखना है कि इस बार किसी पार्टी का उम्मीदवार उन्हें टक्कर दे पाता है या फिर इस बार भी जीत का ताज राजा भैया के सिर पर ही सजेगा.
कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का जन्म 31 अक्टूबर 1967 को हुआ था. रघुराज प्रताप सिंह भदरी रियासत से ताल्लुक रखते हैं. राजा भैया ने 1993 से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. वह अखिलेश यादव की सपा सरकार में मंत्री भी रहे हैं. प्रतापगढ़ के कुंडा में डिप्टी एसपी जिया उल-हक की हत्या के सिलसिले में नाम आने के बाद रघुराज प्रताप सिंह को अखिलेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि, क्लीनचिट मिलने के बाद उन्हें दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था.
राजा भैया साल 1993 से अब तक लगातार 6 बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. 1993 और 1996 में बीजेपी ने उन्हें परोक्ष रूप से सपोर्ट किया जबकि 2002, 2007 और 2012 में सपा ने समर्थन किया.
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वह कल्याण सिंह, दिवंगत राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह व मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में मंत्री भी रहे हैं. इससे पहले, कुंडा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नियाज हसन का कब्जा रहा. वह वर्ष 1962 से 1989 तक यहां से पांच बार विधायक रहे.
राजा भैया की उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) से पुरानी सियासी अदावत रही है. मायावती ने बीजेपी विधायक पूरण सिंह बुंदेला की शिकायत पर 2 नवंबर, 2002 को रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को आतंकवाद निरोधक अधिनियम (POTA) के तहत गिरफ्तार करवाकर जेल में डलवा दिया. राजा भैया के साथ उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था.
साल 2003 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के आधे घंटे के अंदर ही मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने राजा भैया पर से पोटा के तहत सभी मुकदमे खारिज करने का आदेश दिया था. पोटा एक्ट के तहत राजा भैया 10 महीने तक जेल में बंद थे.
माना जाता है कि कुंडा के अलावा आसपास की विधानसभा सीटों पर भी उनका (राजा भैया) खासा प्रभाव रहता है. हालांकि, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा कि राजा भैया की पार्टी चुनाव में क्या कमाल दिखाती है
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