मार्च में फिर लगेगी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग, 10-15 रु./लीटर तक बढ़ सकती हैं कीमतें


Petrol- Diesel price hike:- क्या आपने दिवाली के बाद से पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी की खबर सुनी है। आपने नहीं सुनी होगी, क्योंकि बढ़ोत्तरी हुई ही नहीं है। केंद्र सरकार ने पिछले साल दिवाली पर लोगों को बड़ी राहत देते हुए पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 5 व 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी। इसके बाद कई राज्य सरकारों ने भी पेट्रोल-डीजल पर वैट को घटाया था। पिछले साल दिवाली पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत  करीब 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थी। अब कच्चे तेल का भाव 93 डॉलर प्रति लीटर पर पहुंच गया है। इस तरह कच्चे तेल में 4 नवंबर 2021 के बाद से 13 डॉलर प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी हो चुकी है।

तीन महीने से नहीं बढ़ी कीमतें

सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, BPCL और HPCL की घरेलू बाजार में 90% से ज्यादा हिस्सेदारी है। इन्होंने अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी के बावजूद तीन माह से ज्यादा समय से पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए हैं।

मिश्रा ने कहा कि हालांकि ये कंपनियां तकनीकी रूप से ग्लोबल प्राइस के मुताबिक घरेलू कीमतों में बदलाव करने के लिए आजाद हैं, लेकिन ऊंची कीमतों के लिए लोगों की नाराजगी के डर से चुनावों से पहले अक्सर कीमतें स्थिर रखती आई हैं।

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चुनाव के बाद जब दाम बढ़ते हैं तो सरकार इसका कुछ हिस्सा टैक्स में कटौती के जरिए उठा सकती है और बाकी हिस्से का वजन आम लोगों पर डाल देती हैं। दिल्ली में पेट्रोल के दाम 2 नवंबर और डीजल के दाम 1 नवंबर के बाद नहीं बढ़े हैं। बुधवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपए लीटर और डीजल की कीमत 86.67 रुपए लीटर रही।

दाम बढ़ना सरकार के लिए समस्या, RBI के लिए चुनौती

पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ना सरकार के लिए एक समस्या है क्योंकि एक ऐसे देश में जहां GDP में 60% हिस्सेदारी निजी खपत की है, लोगों की खर्च योग्य आमदनी सीधे तौर पर प्रभावित होती है। वहीं, केंद्रीय बैंक के लिए ईंधन की ऊंची कीमतों का मतलब है महंगाई का तेजी से बढ़ना। ऐसे में रिजर्व बैंक के सामने अर्थव्यवस्था की टिकाऊ रिकवरी के लिए कर्ज की दरों को लंबे समय तक कम रखने की चुनौती होती है।

क्रूड में हर 10 डॉलर की वृद्धि पर GDP ग्रोथ 0.35% होती है प्रभावित
क्रूड ऑयल की कीमतों में प्रति बैरल हर 10 डॉलर की बढ़ोतरी पर भारत की आर्थिक विकास दर 0.3% से 0.35% प्रभावित होती है। क्रूड के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से पार होने पर भारतीय अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

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