Lucknow Corona update:- लखनऊ मेंअब सक्रंमित मरीजों के साथ इलाज के नाम पर उगाही नहीं हो सकेगी। सीएमओ ने ऐसा करने वाले प्राइवेट अस्पतालों पर लगाम लगाने का प्रयास किया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की दर फिक्स कर दी है। साथ ही मनमानी रोकने के लिए आदेश जारी कर कहा गया है कि अस्पताल को बिल की कॉपी सीएमओ दफ्तर भी भेजनी होगी जिससे मरीज के बिल का सत्यापन हो सके।
सीएमओ डॉ. आरपी सिंह की ओर से गुरुवार को जारी एक आदेश में कहा गया है कि कोरोना वायरस के इलाज को लेकर शासन ने शहरों को श्रेणियों में बांटकर रेट फिक्स किए हैं। लखनऊ शहर ए श्रेणी में आता है और इसलिए यहां के रेट उस हिसाब से निर्धारित किए गए हैं।
ये रेट किए गए हैं फिक्स
डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि प्राइवेट अस्पतालों में सपॉर्टिव केयर और ऑक्सिजन वाले आइसोलेशन बेडों के लिए 10000 रुपये से ज्यादा एक दिन के नहीं लिए जा सकते। साथ ही इन दस हजार रुपयों में 1200 रुपये पीपीई किट के भी शामिल हैं। बिना वेंटिलेटर केयर वाले आईसीयू का प्रतिदिन 15000 रुपये से अधिक नहीं लिया जा सकता। इनमें 2000 रुपये पीपीई किट के शामिल है। वेंटिलेटर केयर वाले आईसीयू बेड के लिए पीपीई किट समेत 18000 रुपये से ज्यादा नहीं लिए जाएंगे।
अब बिलों का होगा सत्यापन, कॉपी रोज भेजनी होगी
सीएमओ ने आदेश जारी किया है कि प्राइवेट अस्पतालों में जिन कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है उनका बिल भी सीएमओ कार्यालय में भेजना जरूरी होगा। सीएमओ कार्यालय बिल का सत्यापन करा सकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मरीजों से इलाज के नाम पर धन उगाही नहीं हो रही है। इसके लिए लखनऊ में डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह को जिम्मेदारी दी गई है।
मरीज से एक दिन में हुई थी 1 लाख रुपये की वसूली
वर्तमान में लखनऊ के पांच प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में कोरोना सक्रंमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में जिन मरीजों का इलाज हो रहा है उन मरीजों के इलाज का भुगतान सीएमओ दफ्तर से होगा। वर्तमान में 900 से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल लखनऊ में पंजीकृत हैं, इनमें से 9 अस्पतालों को सीएमओ ने अधिकृत कर रखा है। सात अस्पतालों में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। कुछ दिनों पहले सक्रंमित मरीज से एक साथ एक लाख रुपये जमा कराने का मामला सामने आया था, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया।
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