वाहनों का शोर बढ़ गया तो बाघों की दहाड़ कम हो गई वरना एक समय पूरा नरही क्षेत्र चिड़ियाघर के बाघों की दहाड़ से गूंजता था। अब भी रात के सन्नाटे में जब दहाड़ें सुनाई देती हैं तो लोगों के रोंगटे खड़े होते हैं।
यह कहना है हजरतगंज के नरही की तारा शर्मा का। उन्होंने 29 जुलाई ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस’ के मौके पर अपना ये अनुभव साझा किया।
इस समय चिड़ियाघर में कुल 11 बाघ हैं, जिनमें से आठ रॉयल बंगाल टाइगर व तीन सफेद बाघ हैं। इनमें से तीन पशु चिकित्सालय में हैं। चिड़ियाघर में इप्शिता बाघिन और तीन सफेद बाघों को छोड़कर बाकी सभी 7 रेस्क्यू कर लाए गए हैं। चिड़ियाघर में सबसे अधिक भीड़ इन बाघों को देखने को जुटती है।
जल्द दिखेगी नई बाघिन
पीलीभीत टाइगर रिजर्व की दियोरिया रेंज के जंगल से भागी खूंखार बाघिन कजरी को 2019 में चिड़ियाघर लाया गया था। ऐसे ही मैलानी को मैलानी फॉरेस्ट रेंज से रेस्क्यू किया गया था। रेंजर संजीव जौहरी ने बताया कि इस साल बाघिन को छेदीलाल के बाड़े में भेजने की योजना थी पर वैश्विक माहमारी के चलते अगले साल दर्शक मैलानी को देख सकेंगे।
चिड़ियाघर के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि बहुत जल्द दर्शकों को बाघिन के नन्हे शावक देखने को मिलेंगे। सफेद बाघों का कुनबा बढ़ाने के इरादे से पिछले साल दिल्ली चिड़ियाघर से लाई गई बाघिन गीता को बाघ जय की साथी के तौर पर यहां लाया गया है
आदमखोर बाघों की जोड़ी: 2018 में बाघिन रेनू को लखीमपुर खीरी के मैलानी से रेस्क्यू किया गया था। बाघिन ने एक आदमी को मार दिया था, जिसके बाद लोगों ने उसे इतना मारा कि वह कोमा में चली गई थी। वहीं किशन को 2009 में लखीमपुर के किशनपुर सेंचुरी से रेस्क्यू किया गया था। पांच लोगों को मौत के घाट उतारने वाले किशन का इलाज पांच साल तक चला। अब वह ठीक है और रेनू के साथ खुश है।
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