1864 में हुसैनाबाद कोठी से शुरू हुआ था लखनऊ विश्वविद्यालय का सफर, जानें रोचक कहानी


लखनऊ विश्वविद्यालय की स्थापना 158 साल पहले ही हो गई थी. 1864 को हुसैनाबाद में कैनिंग कॉलेज के रूप में इसकी स्थापना हुई थी. हुसैनाबाद कोठी में एक अस्थाई स्कूल के तौर पर शुरू होकर अमीनाबाद के अमीनुलदौला पार्क पहुंचा फिर वहां से कैसरबाग में परीखाना जो मौजूदा समय में (भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय), वहां से लाल बारादरी होते हुए आखिरी में बादशाह बाग स्थित वर्तमान परिसर में इसकी स्थापना हुई थी. इसी कैंनिंग कॉलेज को 25 नवंबर 1920 को विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया और 1921 में यहां से पहली बार शैक्षिक सत्र की शुरुआत हुई थी.

लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और मौजूदा समय में बीकानेर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने बताया कि खान बहादुर शेख सिद्दीकी अहमद साहब की उर्दू में लिखी गई किताब अंजुमन-ए- हिंद में इसका जिक्र है. उन्होंने बताया कि भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड चार्ल्स कैनिंग की मृत्यु के बाद अवध के तालुकदार ने उनके सम्मान में स्कूल खोलने की इच्छा जताई थी. इसके लिए 18 अगस्त 1862 में अवध में बैठक हुई. जिसमें 22 नवंबर को तालुकदार दास की दूसरी बैठक में इस आशय की सूचना सरकार को देने की सहमति बनी. तीसरी बैठक 7 दिसंबर 1862 में हुई जिसमें तय किया गया कि हर तालुकदार अपनी यहां की मालगुजारी का आधा फ़ीसदी हिस्सा इस शैक्षणिक संस्थान को देगा. बैठक में यह भी तय हुआ कि इसी रकम के बराबर की राशि सरकार से देने का अनुरोध किया जाएगा. इसके बाद कल 30 लाख रुपये का चंदा इकट्ठा हुआ था जो इस विश्वविद्यालय के स्थापना के समय में दिया गया. सरकार ने तालुकदार के इस प्रस्ताव को मान लिया तथा 1864 को कैनिंग कॉलेज की शुरुआत हुसैनाबाद में हुई. विश्वविद्यालय के पहले कुलपति ज्ञानेंद्र नाथ चक्रवर्ती को यहां पर ₹3000 प्रतिमा की तनख्वाह पर 5 वर्ष के लिए रखा गया था. आगरा कॉलेज के मेजर टीएफओ डोनेल ने ₹1200 प्रतिमाह के वेतन पर कुल सचिव के पद की जिम्मेदारी संभाली थी.

आठ छात्रों से शुरू हुई थी पढ़ाई :

लखनऊ विश्वविद्यालय के पास मौजूद इतिहास के आधार पर वर्ष 1964 में अपने स्थापना के बाद अगले 2 साल तक यहां सिर्फ हाई स्कूल तक की ही पढ़ाई हुआ करती थी. आगरा कॉलेज के प्रिंसिपल थॉमस साहब की निगरानी में यह विद्यालय कोलकाता विश्वविद्यालय से संबद्ध था. वर्ष 1857 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय बनने के बाद यह कोलकाता विश्वविद्यालय से हटकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबंध कर दिया गया. कैनिंग कॉलेज में वर्ष 1864 में डिग्री कक्षाएं की शुरुआत की गई थी. शुरुआत में डिग्री स्तर पर सिर्फ आठ विद्यार्थियों से शुरू हुआ. कुल विद्यार्थियों की बात करें तो 1865 में 377, 1866 में 518, 1867 में 533, 1868 में 661 और 1889 में संख्या 666 तक पहुंच गई.

इसके बाद 1864 तक सभी कक्षाएं एक साथ चलने लगी थीं. इसके बाद प्राइमरी कक्षाओं को अलग कर दिया गया. 1887 में मिडल की कक्षाओं को भी अलग कर दिया गया. फिर इसके बाद 1877 में जुबली स्कूल जो अब राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज है. उसको हाईस्कूल का दर्जा दे दिया गया. इसके बाद यहां पर कक्षा 11 से लेकर ऊपरी दर्ज की पढ़ाई होना शुरू हो गई. 13 अगस्त 1920 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लेफ्टिनेंट गवर्नर बटलर की अध्यक्षता में विशेष बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय स्थापित करने की जानकारी दी. इसके साथी यूनिवर्सिटी और स्कूल टीचिंग के बीच में लाइन इंटरमीडिएट करने की बात तय हुई और लखनऊ विश्वविद्यालय 1921 में शुरू हुए पहले शैक्षणिक सत्र में डिग्री के साथ 12वीं के विद्यार्थी भी थे. इंटरमीडिएट का बैच पास होने के बाद अगले साल यानी 1922 से यहां इंटर की पढ़ाई बंद हो गई थी. तब इस विश्वविद्यालय की स्थापना विशेष रूप से ऑनर्स के विषय के पढ़ाई के तौर पर किया गया था. पर आज विश्वविद्यालय में ऑनर्स की पढ़ाई के साथ ही हर विषय की पढ़ाई भी हो रही है. मौजूदा समय में विश्वविद्यालय में 10 संकायों के साथ 49 विषयों की पढ़ाई हो रही है.

अवध में स्थापित इस पहले विश्वविद्यालय की अगर बात करें तो यहां पर प्रख्यात शिक्षाविदों की यह कर्मस्थली रही है. आचार्य नरेंद्र देव, राधा कमल मुखर्जी, प्रोफेसर बीरबल साहनी, जैसे लोग यहां से शिक्षामित्र के रूप में रहे. वहीं भारत के पूर्व राष्ट्रपति पंडित शंकर दयाल शर्मा से लेकर उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एएस आनंद, अनूप जलोटा, नामित चिकित्सक डॉक्टर नरेश त्रेहन, पूर्व राज्यपाल सैयद सितबे रजी, झारखंड के राज्यपाल सैयद अहमद, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व राजनेता हरीश रावत, पंजाब के मुख्यमंत्री सुरदीप सिंह बरनाला, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश सरकार में मौजूद उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, अल्पसंख्यक मंत्री दानिश आजाद के अलावा कई पूर्व मंत्री जैसे अरविंद सिंह गोप, राम सिंह राणा के अलावा कई ऐसे छात्र भी रहे, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है.

 

लखनऊ से जुड़ी रोचक कहानियां :–

लखनऊ के करीब यह बेहतरीन पांच हिल स्टेशन है बेहद खूबसूरत, जाने…

आस्था का केंद्र माँ चन्द्रिका देवी धाम, जानिए क्या है मान्यता

खबरों को फेसबुक पर पाने के लिए लाइक करें
दोस्तों को शेयर करें

Comments

comments

Powered by Facebook Comments

What's Your Reaction?

hate hate
0
hate
confused confused
0
confused
fail fail
0
fail
fun fun
0
fun
geeky geeky
0
geeky
love love
0
love
lol lol
0
lol
omg omg
0
omg
win win
0
win
admin

0 Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Choose A Format
Personality quiz
Series of questions that intends to reveal something about the personality
Trivia quiz
Series of questions with right and wrong answers that intends to check knowledge
Poll
Voting to make decisions or determine opinions
Story
Formatted Text with Embeds and Visuals
List
The Classic Internet Listicles
Countdown
The Classic Internet Countdowns
Open List
Submit your own item and vote up for the best submission
Ranked List
Upvote or downvote to decide the best list item
Meme
Upload your own images to make custom memes
Video
Youtube, Vimeo or Vine Embeds
Audio
Soundcloud or Mixcloud Embeds
Image
Photo or GIF
Gif
GIF format