Ayodhya Structure Demolition Case :- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की गति तेज हो गई है। दूसरी तरफ छह दिसंबर, 1992 के विवादित ढांचा ध्वंस मामले की सुनवाई लखनऊ की सीबीआइ की विशेष अदालत में चलती रही। अदालत आज यानी 30 सितंबर को इस मामले में फैसला सुनाने जा रही है। आइए, डालते हैं पूरे घटनाक्रम पर एक नजर…
छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया। इस पर हिंदू और मुसलमान दोनों अपने-अपने दावे करते थे। हिंदू पक्ष का कहना रहा कि अयोध्या में ढांचे का निर्माण मुगल शासक बाबर ने वर्ष 1528 में श्रीराम जन्मभूमि पर कराया था, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी। मंदिर आंदोलन से जुड़े संगठनों के आह्वान पर वहां बड़ी संख्या में कारसेवक जुटे और इस ढांचे को ध्वस्त कर दिया। इस मामले में पहली प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआइआर) उसी दिन रामजन्मभूमि थाने में दर्ज हुई। 40 ज्ञात और लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ आइपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने जांच शुरू करने के बाद ज्ञात-अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज दो अलग-अलग एफआइआर को एक कर दिया। इस मुकदमे की सुनवाई पहले रायबरेली, लखनऊ दोनों जगह और बाद में सिर्फ
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40 के खिलाफ सीबीआइ ने दाखिल किया आरोप पत्र : सीबीआइ ने 40 आरोपितों के विरुद्ध चार अक्टूबर, 1993 को विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (अयोध्या प्रकरण) लखनऊ के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया। इनमें बाल ठाकरे, लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, अशोक सिंहल, विनय कटियार, मोरेश्वर सावे, पवन पांडे, बृजभूषण शरण सिंह, जय भगवान गोयल, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, महाराज स्वामी साक्षी, सतीश प्रधान, मुरली मनोहर जोशी, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, विनोद कुमार वत्स, रामचंद्र खत्री, सुधीर कक्कड़, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे, प्रकाश शर्मा, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, राम नारायण दास, रामजी गुप्ता, लल्लू सिंह, चंपत राय बंसल, विनय कुमार राय, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, हरगोविंद सिंह व विजय बहादुर सिंह आदि शामिल रहे।
पेश किए गए 351 गवाह :
अभियोजन पक्ष ने 351 गवाह पेश किए। इनमें 57 गवाह रायबरेली व 294 लखनऊ कोर्ट में पेश हुए। गवाहों में प्रिंट-इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार व फोटोग्राफर, सरकारी कर्मचारी व अधिकारी, स्थानीय निवासी व जांच अधिकारी आदि शामिल रहे।
दर्ज कराए गए थे कुल 50 मुकदमे : अयोध्या ढांचा विध्वंस मामले से जुड़े अधिवक्ता केके मिश्र ने बताया कि अयोध्या विवादित ढांचा ध्वंस मामले की पहली रिपोर्ट (197/92) इंस्पेक्टर रामजन्मभूमि प्रियंवदा नाथ शुक्ला ने थाना रामजन्मभूमि में 40 लोगों को नामजद करते हुए लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ दर्ज कराई थी। इसी दिन दूसरी रिपोर्ट (198/92) चौकी इंचार्ज राम जन्मभूमि जीपी तिवारी ने अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ दर्ज कराई थी। इसके अलावा 48 एफआइआर मीडिया कर्मियों की ओर से दर्ज कराई गईं। इस तरह छह दिसंबर, 1992 की घटना को लेकर कुल 50 एफआइआर दर्ज हुई थीं। सीबीआइ ने कई चरणों में आरोप पत्र दाखिल कर अभियोजन के पक्ष को साबित करने के लिए 994 गवाहों की सूची अदालत में दाखिल की।
बाद में बनाए गए थे नौ और आरोपित :
प्रारंभिक मुकदमा 40 लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था। बाद में सीबीआइ ने रामजन्मभूमि न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष रामचंद्रदास परमहंस, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मौजूदा अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास, तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ, डॉ रामविलासदास वेदांती व विजयाराजे सिंधिया समेत नौ अन्य को भी आरोपित बनाया।
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