लखनऊ में कोरोना की रफ्तार प्रदेश के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा है। प्रदेश में सैंपल की अपेक्षा पॉजिटिव की दर 4.70 फीसदी है, जबकि राजधानी में 10.48 फीसदी। इसमें हर माह बढ़ोतरी हो रही है। जबकि देश में कोरोना मरीज मिलने की दर आठ फीसदी है।
लखनऊ में पॉजिटिव मरीजों के मिलने का ग्राफ गिरने का नाम नहीं ले रहा है। पहला मरीज 11 मार्च को मिला था। मार्च में कुल मरीजों की संख्या सिर्फ 10 थी, जबकि सैंपल 143 लिए गए थे। यह 6.90 फीसदी है। अप्रैल से मरीजों की संख्या में इजाफा शुरू हुआ। अप्रैल में कुल लिए गए सैंपल की अपेक्षा पॉजिटिव मरीजों की दर 5.59 फीसदी रही। मई में गिरकर 3.79 और जून में 1.88 फीसदी पर पहुंच गई। लेकिन जुलाई में फिर मरीजों की दर में बेतहाशा वृद्धि हुई। इस माह मरीजों की दर बढ़कर 6.17 फीसदी पहुंच गई। स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस ग्राफ में गिरावट लाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन हालात बेकाबू हो गए हैं और अगस्त में यह दर बढ़कर 10.48 फीसदी पहुंच गई है।
3,43,683 रिकॉर्ड सैंपल कलेक्शन
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राजधानी में सैंपल कलेक्शन के मामले में जुलाई में रिकॉर्ड बना। इस माह तक कुल 1,50,780 सैंपल लिए गए। खास बात यह है कि मरीजों की दर बढ़ने के बाद भी अगस्त में 1,92,903 सैंपल लिए गए हैं। यह पूरे प्रदेश में सर्वाधिक है। नोडल अधिकारी डॉ. केपी त्रिपाठी ने बताया कि शासन के निर्देश के तहत राजधानी में सबसे ज्यादा लोगों की जांच कराई जा रही है। अब तक कुल 3,43,683 लोगों के सैंपल लिए जा चुके हैं।
संक्रमण की चेन का न टूटना गंभीर
चिकित्सा विशेषज्ञों का मामला है कि राजधानी में तीन चिकित्सा संस्थान हैं। यहां प्रदेशभर के मरीज आ रहे हैं। ऐसे में तमाम स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी संक्रमित हुए हैं और हो रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न जिलों के आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों के भी पॉजिटिव आने का सिलसिला जारी है। यही नहीं, राजधानी में हर जिले के लोग आ रहे हैं। इससे यहां वायरस की चेन बनी हुई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोशिशों के बावजूद चेन नहीं तोड़ पा रहे हैं।
बाहरियों की हो रही निगरानी
स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. केपी त्रिपाठी का कहना है कि बाहर से आने वालों की विशेष तौर पर निगरानी की जा रही है। दिल्ली, गुड़गांव और गुजरात सहित अन्य स्थानों से आने वाले युवाओं और उनके परिजनों की निगरानी वरीयता के आधार पर की जा रही है। क्योंकि उनके बाहर निकलने से वायरस के बढ़ने का खतरा है। हालांकि माहभर में कितने लोग बाहर से आए हैं, अभी स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पुख्ता आंकड़ा नहीं है।
प्रदेश से ज्यादा है राजधानी की रिकवरी दर
राजधानी में रिकवरी दर भी बढ़ती जा रही है। इससे लोगों को राहत मिली है। यहां की रिकवरी दर प्रदेश की दर से करीब चार फीसदी ज्यादा है। अप्रैल में कुल मिले मरीजों की अपेक्षा ठीक होने वालों की दर 43.96 फीसदी थी। जुलाई में यह 48.73 फीसदी रही और अगस्त में बढ़कर 78.29 फीसदी पहुंच गई है। रिकवरी की यह संबंधित माह में कुल मिले मरीजों की अपेक्षा ठीक होने वाले मरीजों की संख्या पर आधारित है। प्रदेश की रिकवरी की दर 74.25 है।
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