Lucknow news :- बरेली निवासी 45 वर्षीय व्यक्ति को कोरोना हो गया। इसके बाद शरीर में बैक्टीरिया ने धावा बोल दिया। आठ सितंबर को उसे लखनऊ में भर्ती कराया गया। जांच में सेप्टिसीमिया की पुष्टि हुई। इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई। वहीं आजमगढ़ निवासी 70 वर्षीय पुरुष को कोरोना हुआ। हालत गंभीर होने पर लखनऊ रेफर किया गया। कल्चर जांच में बैक्टीरिया की पुष्टि हुई।
सेप्टिसीमिया हो जाने से शॉक में चले गए। ऑर्गन फेल्योर हो गए। छह सितंबर को उनकी मौत हो गई। कोरोना मरीजों की जान सिर्फ सार्स कोव-टू वायरस ही नहीं ले रहा है। अस्पताल में भर्ती रोगियों में सुपर इंफेक्शन उनका दोहरा दुश्मन बन रहा है। ये दो मामले तो उदाहरण मात्र हैं। यानी वायरस से जूझ रहे मरीज एकाएक बैक्टीरिया-फंगस की गिरफ्त में आ रहे हैं। यह अंदर ही अंदर पूरे शरीर को संक्रमण की जद में ला देता है। ऐसे में कम प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के लिए सुपर इंफेक्शन जानलेवा साबित हो रहा है। शॉक में जाने के साथ-साथ मल्टी ऑर्गन फेल्योर से मौत की दर बढ़ रही है।
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राजधानी में कोरोना के मरीजों की तादाद 49 हजार पार कर गई है। मौतों का ग्राफ भी सवा छह सौ से अधिक हो गया है। दूसरे राज्यों व जनपदों के कई मरीजों की भी सांसें यहां इलाज के दौरान थम चुकी हैं। यह रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही। जो मौतें अभी तक हुई हैं, उनकी एक बड़ी वजह सेप्टिसीमिया भी रही है। केजीएमयू, लोहिया संस्थान, पीजीआइ, निजी अस्पतालों में भर्ती कराए गए कोरोना के मरीजों में बैक्टीरिया-फंगस भी पाया गया है। ऐसे में देश-विदेश में हुई स्टडी में गंभीर मरीजों को बैक्टीरिया-फंगस से बचाव के लिए अलर्ट किया गया है। इलाज के वक्त प्रोटोकाल फॉलो करने का सुझाव दिया गया है।
सेप्टिसीमिया को लेकर रहें अलर्ट
केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक, कोरोना वायरस मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है। ऐसे में आइसीयू में भर्ती मरीजों में बैक्टीरिया-फंगस का हमला करना आसान हो जाता है। लिहाजा, सुपर इंफेक्शन की चपेट में आए मरीजों में सेप्टिसीमिया हो जाता है। विदेश के अलावा तमिलनाडु में भी कोरोना वायरस व स्पेसिस पर शोध हुआ। 30 जुलाई को जर्नल ऑफ इंटेंसिव एंड क्रिटिकल केयर में प्रकाशित शोध में कोरोना मरीजों में बैक्टीरिया-फंगस के बचाव को लेकर अलर्ट किया गया है।
ये बैक्टीरिया-फंगस बन रहे घातक
डॉ. शीतल वर्मा बताती हैं कि गंभीर मरीजों में ई-कोलाई, क्लेबसिएला, स्टेफाइलोकोकस, स्युडोमोनाज, ए सिनेटो बैक्टर बैक्टीरिया घातक बन रहे हैं। वहीं केंडिडा फंगस भी जानलेवा बन रहा है। इनसे मरीज का शरीर सेप्टिसीमिया का शिकार हो रहा है। ऐसे में जहां मरीज भर्ती हैं वे हॉस्पिटल, डिवाइस, उपकरण, हेल्थ वर्कर व मरीज में हाईजीन को बनाए रखना बेहद आवश्यक है। मरीज की समय-समय पर कल्चर जांच कराएं। ब्लड शुगर कंट्रोल रहे। तत्काल आवश्यक एंटीबायोटिक दी जाएं।
सेप्टिसीमिया के लक्षण
तेज सांस लेना, धड़कन बढऩा, त्वचा पर चकत्ते, कमजोरी या मांसपेशियों में दर्द, पेशाब रुकना, अधिक गर्मी या ठंड लगना, कपकपी, उलझन महसूस होना।
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