प्रणब मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के एक छोटे से गांव मिराटी में एक ब्राह्मण परिवार में 11 दिसंबर 1935 में हुआ था. प्रणब मुखर्जी के पिताजी कामदा किंकर मुखर्जी क्षेत्र के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे. आज़ादी की लड़ाई में वो 10 सालों से ज्यादा समय तक ब्रिटिश जेलों में कैद रहे. उनके पिताजी 1920 से इंडियन नेशनल कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे. देश की आजादी के बाद वो 1952 से लेकर 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद के सदस्य रहे. प्रणब ने राजनीति में प्रवेश पिता के हाथ को पकड़ कर ही किया था.
उनके पिताजी 1920 से इंडियन नेशनल कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता थे. देश की आजादी के बाद वो 1952 से लेकर 1964 तक पश्चिम बंगाल विधान परिषद के सदस्य रहे. प्रणब ने राजनीति में प्रवेश पिता के हाथ को पकड़ कर ही किया था.
शुरुआत क्लर्क से करने के बाद वो पत्रकार बने लेकिन साथ साथ कोलकाता विश्वविद्यालय में आगे की पढाई भी करते रहे. कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबंधित सूरी विद्यासागर कॉलेज से स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद प्रणब मुखर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ही इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम.ए.) की पढ़ाई की. कोलकाता विश्वविद्यालय से क़ानून की उपाधि (लॉ) की शिक्षा के बाद पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के एक कॉलेज में प्राध्यापक (प्रोफेसर) की नौकरी शुरू की.उन्होंने वकील के रूप में भी काम किया.
लोग उन्हें प्रणब दा के नाम से जानते हैं. उनकी पैनी बुद्धि का लोहा हर कोई मानता रहा है. अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने लगातार इसका प्रदर्शन किया. साथ ही आगे की सीढियां चढ़ते गए. राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में इंदिरा गांधी से लेकर मनमोहन सिंह की अगुवाई वाले सरकार में काम किया.
बंगाली परिवार से होने के कारण उन्हें रबिंद्र संगीत में भी खासी रुचि है. प्रणब को पश्चिम बंगाल के अन्य निवासियों की तरह ही माँ दुर्गा का उपासक भी माना जाता है. दुर्गा पूजा के दौरान वे माता की उपासना भी करते हैं. वो मृदुभाषी, गंभीर और कम बोलने वाले है. उन्हें बागवानी, किताबें पढ़ना और संगीत पसंद है. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने काफी हद तक राष्ट्रपति भवन को तकनीक तौर बदल दिया. प्रणब दा के बारे में कहा जाता है कि मंत्री और राष्ट्रपति रहते हुए वो रोज 18 घंटे काम करते थे. अब वो बेशक रिटायर हो चुके हों लेकिन अब भी सक्रिय हैं.
प्रणब दा के राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1969 में हुई, तब वो पहली बार राज्य सभा से चुनकर संसद में आए थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी ने इनकी योग्यता से प्रभावित होकर मात्र 35 वर्ष की अवस्था में, 1969 में कांग्रेस पार्टी की ओर से राज्य सभा का सदस्य बना दिया. उसके बाद वे, 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए.
1973 में केंद्र सरकार में प्रणब मुखर्जी ने कैबिनेट मंत्री बनाया गया. 1974 में केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री बने. प्रणब वर्ष 1982 से 1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने जाते रहे. इसके बाद वो 1984 में वह पहली बार भारत के वित्त मंत्री बने. प्रणब मुखर्जी ने सन 1982-83 के लिए पहला बजट सदन में पेश किया. वह सात बार कैबिनेट मंत्री रहे.
इंदिरा गांधी की हत्या के पश्चात, राजीव गांधी सरकार की कैबिनेट में प्रणब मुखर्जी को शामिल नहीं किया गया. तब उन्होंने अपनी अलग राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया. फिर 1989 में राजीव गांधी से विवाद का निपटारा होने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी को राष्ट्रीय कांग्रेस में मिला दिया. पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव उन्हें पार्टी में दोबारा लेकर आये थे.
प्रणब मुखर्जी पहली बार वह लोकसभा के लिए पश्चिम बंगाल के जंगीपुर निर्वाचन क्षेत्र से 13 मई 2004 को चुने गए थे. इसी क्षेत्र से दुबारा 2009 में भी लोकसभा के लिए चुने गए. पश्चिम बंगाल में वो कांग्रेस प्रत्याशी की ओर से सबसे अधिक 1, 28,252 मतों से जीतने वाले सदस्य रहे.
2004 में पार्टी सत्ता में आई तो उन्हें भारत के रक्षा मंत्री के प्रतिष्ठित पद पर पहुंचने में मदद मिली. 24 अक्टूबर 2006 को उन्हें भारत का विदेश मंत्री नियुक्त किया गया. राष्ट्रपति बनने से पहले वो यूपीए सरकार में वित्त मंत्री थे. वो भारत के 13वें राष्ट्रपति बने.
0 Comments